आहिस्था चल जिंदगी
आहिस्था चल जिंदगी
अभी कर्ज चुकाना बाकी है
कुछ फर्ज निभाना बाकी है
कुछ दर्द निभाना बाकी है
रफ्तार मे तेरे चलने से
कुछ छुट गये. कुछ रूठ गये
रूठो को मनाना बाकी है
रोते को हँसाना बाकी है
कुछ रिश्ते बनकर टूट गये
कुछ बनते बनते छुट गये
उन छुटे टूटे रिश्तों के
जख्मों को मिटाना बाकी है
कुछ हसरते अभी अधूरी है
कुछ काम जरूरी बाकी है
जीवन की उलझ पहेली को
पूरा सुलझाना बाकी हैं
अहिस्था चल जिंदगी अभी
कर्ज चुकाना बाकी है
ऋतुराज वर्मा
मो.., 8953057283