आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने दर्द मे घुलने लगा हूँ ।
आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने दर्द मे घुलने लगा हूँ ।
खाके ठोकर और भी बेहतर बनने लगा हूँ ।
जख्म अब दर्द मुझे देते नही है ।
पाकर खुशी अब मैं बिखरने लगा हू।।
आहिस्ता आहिस्ता मैं अपने दर्द मे घुलने लगा हूँ ।
खाके ठोकर और भी बेहतर बनने लगा हूँ ।
जख्म अब दर्द मुझे देते नही है ।
पाकर खुशी अब मैं बिखरने लगा हू।।