आहत है देश आज (घनाक्षरी)
आहत है देश आज (घनाक्षरी)
~~~~~~~~~~~~~~~~~
* एक *
आहत है देश आज, खोए हैं धरा के लाल।
मत बैठो मौन धार, शत्रु को मिटाइए।
शांति का विरोधी दुष्ट, करता है छद्म युद्ध।
बहुत जरूरी इसे, पाठ तो पढ़ाइए।
पूरी दुनिया की आज, हम पर है निगाह।
शक्ति की झलक एक, विश्व को दिखाइए।
प्राणों से भी प्रिय हमें, भारत महान देश।
युद्ध भूमि में अरि का, रुधिर बहाइए।
* दो *
कबूतर उड़ा चुके, शांति के बहुत हम।
शत्रु के नापाक अब, चीथड़े उड़ाइए।
छद्म रूप धरे यहां, घुसपैठिए बहुत।
उनके भी मुखड़े से, परदा हटाइए।
पुष्प हैं चढ़े बहुत, देव चरणों में देखो।
अब है समय अरि मुण्ड ही चढ़ाइए।
पाप का बढ़ा है बोझ, आ गया समय अब।
पापियों से मातृ भू को, मुक्ति तो दिलाइए।
~~~~~~~~~~~~~~~~~
-सुरेन्द्रपाल वैद्य, १८/०२/२०१९