आहत बता गयी जमीर
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आहट बता गयी
चली चलन से चाल मेरी चाहत कर चार धाम माल मेरा
चकोर रख चांद चांदनी पर चश्मा चढा आज मोरनी पर
चढी चीते की चतुराई देख
चावल की चाहत से आहट बता गयी
छोकर छबलि में छाछ् को छ्क्का आया धक्का मारने आज तो छिक-धिक कर छाया में छगन ,घबराकर छाता लाया मंगन
चढी धुप चीते की चतुराई देख
चाहत धुप चारपाई पर अपनी आहट बताइ
जग-मग करता जल झरना को जमना था
जमुना से जमुना को जल भरना था
झारा को देख जशोदा मैया को जमना था
जार लगा जब जल में जोर पकड जमुना को हटना था।
. चढ़ी धूप चीत्ते की चतुराई देख -चाहत
धुप – चारपाई की आहट बताई थी
दामिनी का दामन पर दाग
मारकर दाव दारमदार का
दावेदारी को दबाता गया ।
डाल डाडम की दाल पर लाल का पंख लाल कर
लाल लिवाज को लंटाकाकर लाल को ललचाता गया
चढी धुप चीते की चतुराई देख
चाहत धुप को चारपाई की आस्ता बताई थी।