“ आहट “
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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तुम्हारे आने की आहट,
सदा समझते हैं !
तुम्हारी खुसबू से सारे ,
चमन महकते हैं !!
तुम्हारे आने की …………..!!
पायल की छनकते धुन को ,
कैसे तुम छुपा पाओगी !
हम जान ही लेंगे उसको ,
फिर कैसे बच पाओगी !!
पायल की छनकते धुन को ,
कैसे तुम छुपा पाओगी !
हम जान ही लेंगे उसको ,
फिर कैसे बच पाओगी !!
शरारत तो तुम्हारी हम
सदा पहचानते हैं ,
तुम्हारी खुसबू से सारे ,
चमन महकते हैं !!
तुम्हारे आने की …………..!!
अँधेरों में भी तुमको हम ,
पहचान कर ही लेंगे !
तेरे रूप का दमकता चेहरा ,
हम उसे जान लेंगे !!
अँधेरों में भी तुमको हम ,
पहचान कर ही लेंगे !
तेरे रूप का दमकता चेहरा ,
हम उसे जान लेंगे !!
छुपा लो लाख हमसे ,
उसको समझते हैं !
तुम्हारी खुसबू से सारे ,
चमन महकते हैं !!
तुम्हारे आने की …………..!!
कानों की बाली कानों में ,
कुछ बातें करती है !
साँसों के कंपन को सुनकर ,
धड़कन मेरे रुकती है !!
कानों की बाली कानों में ,
कुछ बातें करती है !
साँसों के कंपन को सुनकर ,
धड़कन मेरी रुकती है !!
स्प्रंदन गति की चाहत
सदा समझते हैं
तुम्हारी खुसबू से सारे ,
चमन महकते हैं !!
तुम्हारे आने की …………..!!
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हैल्थ क्लीनिक
एस 0 पी 0 कॉलेज रोड
दुमका
झारखंड
भारत
05 .10 ॰2021