“आहट”
“हमारी चाहतों की महफ़िल तब तक सजती रहेगी,
जब तक उनके आने की आहट नहीं आती,
शामिल करें वो हमें अपने ख़यालो में ,इस कदर
जैसे समंदर में मिलकर लहरें, फिर लहरें नहीं रहती।।।”
“हमारी चाहतों की महफ़िल तब तक सजती रहेगी,
जब तक उनके आने की आहट नहीं आती,
शामिल करें वो हमें अपने ख़यालो में ,इस कदर
जैसे समंदर में मिलकर लहरें, फिर लहरें नहीं रहती।।।”