आहट
हर हिरदय में अकुलाहट है, हर वाणी में कड़वाहट है।
हर आँख आग का गोला है हर मस्तिष्क मे झुँझलाहट है।
ये शोर शराबा भीड़भाड़ ये रक्तपात ये आगजनी ।
संयोग मात्र नहीं है ये, ये गृहयुद्ध की आहट है।।
प्रदीप कुमार
हर हिरदय में अकुलाहट है, हर वाणी में कड़वाहट है।
हर आँख आग का गोला है हर मस्तिष्क मे झुँझलाहट है।
ये शोर शराबा भीड़भाड़ ये रक्तपात ये आगजनी ।
संयोग मात्र नहीं है ये, ये गृहयुद्ध की आहट है।।
प्रदीप कुमार