आहट
हर सांझ तुम्हारे आने की मैं आहट सुना करता था
हृदय की हर धड़कन में तुमको ही ढूंढा करता था
आओगी तुम जीवन में विश्वास अटल था बचपन से
जिंदगी के हर ताने-बाने मैं तुमसे ही बुना करता था
संजय
11=4=2023
हर सांझ तुम्हारे आने की मैं आहट सुना करता था
हृदय की हर धड़कन में तुमको ही ढूंढा करता था
आओगी तुम जीवन में विश्वास अटल था बचपन से
जिंदगी के हर ताने-बाने मैं तुमसे ही बुना करता था
संजय
11=4=2023