आस
फ़कत एक आस ही तो है
लगाये कब से बैठे है
बडा नाजुक है दिल मेरा
लगाये तुझ से बैठे है
पता है बेवफा हमदम
सहे हमने लाखों सितम
ना जाने आस वफाओं की
क्यों लगाकर उनसे बैठे हैं
अंधेरी रात है जीवन
और टूटा हुआ है मन
दिया बिन तेल का देखो
जलाकर कब से बैठे हैं
नीलम शर्मा