वक़्त।
बेशुमार नाकामियों के बाद,
जब कामयाबी का सूरज जगमगाता है,
ज़िन्दगी हो जाती है तारो से सजी,
हर दिन दिल को लुभाता है,
बुरे दौर में लगता है ऐसे,
जैसे वक़्त ये मुँह चिढ़ाता है,
थोड़ी गहराई में उतर के देखो,
ये वक़्त ही हौंसला बढ़ाता है,
नाकामी से हर राह बंद दिखती,
लगा हो जीवन पे अंधेरे का ताला,
हार ना मानो धीर धरो,
अभी देगा दस्तक कोई उजाला,
साधारण से असाधारण बनाने को ही,
ये वक़्त आज़माइश करता है,
फटे हाल भी एक सच्चा दिलदार,
मुस्कान की नुमाइश करता है I
कवि-अम्बर श्रीवास्तव