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14 Oct 2024 · 1 min read

आस्था का घर

शहर में आज
त्योहार की धूम है
मंदिर के बाहर उमड़ा
लोगों का हुजूम है

सभी की है चाहतें,
उम्मीदें और इच्छाऐं
नतमस्तक होकर
जगतपिता को सुनाएं

बाहर आती शंखनाद
और घंटाध्वनि
आरती लेते चढ़ावा देते
माता, पिता, बेटा, बेटी

सबका अपना व्यक्तित्व है
दर्शन का अलग औचित्य है
कोई जलाभिषेक करता
कोई करता साष्टांग प्रणाम

कोई मौन प्रभु स्मरण करता
किसी का जयकारा गूंजता
यहां उम्मीदों के दिए जलते
संतुष्टि लेकर है घर जाते

चित्रा बिष्ट
(मौलिक रचना)

Language: Hindi
32 Views

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