आसू पोछता कोई नहीं…
एक कम उम्र, का जोड़ा बिछड़ गया,
नन्हा बालक छोड़ गया,
अनजान, था वो अब यतीम है..
बाप की अर्थी को बोल गया,
पढ़ाई कर अभी आता हूँ…
आपको सब सुनाता हूं…
सुन सारा जमाना रो गया,
बातें हुई दो — चार, बस
कोई सिख दे गया, कोई दिलासा…
आंगन खाली था , चार दिन बाद…
बस, थी तो सिसकियां बस मां की और उसकी मां की..
याद, आई बच्चों को एक बात,
कहते थे, कोई नहीं है संग अपने,
सब काम तक है साथ,
दो आसू तो बहाते है, लोग संग
मगर पोछता कोई नहीं…
आंसू पोछता कोई नहीं…