‘आसां नहीं सफर इश्क़ का’
आसां नहीं है यह सफर इश्क का
दिल बार बार टूट जाता है
देखने को रुखसार पर उसके लालिमा
रोज एक ख्वाब टूट जाता है
लम्हा लम्हा प्यार का सजाया आशियां
तेरी बेरुखी से जहां मेरा उजड़ जाता है
उम्मीद तेरी हर वक्त रहती है हमदम
मुसलसल दिल मेरा घायल होता जाता है
बस अब वक़्त ठहर जाए तो करार आए
एक नए जख्म का डर हर वक्त सताए जाता है
बड़े प्यार से सजाया था इश्क का महल ‘पूनम’
जमाने की निगाहों से बिखर बिखर जाता है।।