आसमान में छाए बादल, हुई दिवस में रात।
आसमान में छाए बादल, हुई दिवस में रात।
सूरज की किरनें अलसाईं, मुरझाए जलजात।
विरहित चकवा-चकवी रोवें, कौन सुने फरियाद।
गरजें-खौफ जगाएँ बदरा, हों जैसे जल्लाद।
सीमा अग्रवाल
आसमान में छाए बादल, हुई दिवस में रात।
सूरज की किरनें अलसाईं, मुरझाए जलजात।
विरहित चकवा-चकवी रोवें, कौन सुने फरियाद।
गरजें-खौफ जगाएँ बदरा, हों जैसे जल्लाद।
सीमा अग्रवाल