आसमान मुट्ठी में होगा
उड़े पतंग आसमान में
डोर हमारे हाथ में है
सर सर करती हवाओ में
एक नयी आस है
मै भी उड़ना चाहूँ गगन में
पंख फैलाये सपनो के
आसमान से देखूं नगर को
रंगबिरंगे ससार को
हंस रहा है बादल मुझ पर
आँख मिचौली खेल खेल कर
एक दिन देखना मै भी उडूंगा
आसमान मुट्ठी में होगा
आज उड़ा रहा हूँ पतंगों को
कल उड़ाऊंगा हवाई जहाज
रोक न पाए मेरी उड़ान को
हवाओ से बाते करूंगा मै
– आनंदश्री