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3 Aug 2021 · 1 min read

आसमान मुट्ठी में होगा

उड़े पतंग आसमान में
डोर हमारे हाथ में है
सर सर करती हवाओ में
एक नयी आस है

मै भी उड़ना चाहूँ गगन में
पंख फैलाये सपनो के
आसमान से देखूं नगर को
रंगबिरंगे ससार को

हंस रहा है बादल मुझ पर
आँख मिचौली खेल खेल कर
एक दिन देखना मै भी उडूंगा
आसमान मुट्ठी में होगा

आज उड़ा रहा हूँ पतंगों को
कल उड़ाऊंगा हवाई जहाज
रोक न पाए मेरी उड़ान को
हवाओ से बाते करूंगा मै

– आनंदश्री

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