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4 Apr 2022 · 1 min read

आसमान के लबों को

जमीन को पकड़े रखूं और
गगन छू लूं
बादलों की चुनर ओढूं
आसमान के रंगों से सोलह श्रृंगार करूं
आसमान के लबों को
अपना कद अपने कदमों पर कुछ और उठाकर
चूम लूं
आसमान आज न कहीं झुके
न मुझे सजदा करे
मैं ही आगे बढ़ बढ़कर उसे भरपूर प्यार करूं।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
420 Views
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