आसमान के लबों को
जमीन को पकड़े रखूं और
गगन छू लूं
बादलों की चुनर ओढूं
आसमान के रंगों से सोलह श्रृंगार करूं
आसमान के लबों को
अपना कद अपने कदमों पर कुछ और उठाकर
चूम लूं
आसमान आज न कहीं झुके
न मुझे सजदा करे
मैं ही आगे बढ़ बढ़कर उसे भरपूर प्यार करूं।
मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001