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30 Jan 2021 · 1 min read

आसमान के चांद को

मेरे घर का
एक छोटा सा कमरा
अब तो
मेरी दुनिया है
इस घर की देहरी के पार
अब मुझे जाना भी नहीं
है
खिड़की के बाहर
बहती ठंडी हवा को भी
अब मेरे पास आना नहीं है
चांद है मेरी बाहों में और
मैं मल्लिका
आसमान की
आसमान को पर
बस दूर से देखना है
आसमान से छीनकर
आसमान के चांद को
जमीन पर उतारना नहीं है।

मीनल
सुपुत्री श्री प्रमोद कुमार
इंडियन डाईकास्टिंग इंडस्ट्रीज
सासनी गेट, आगरा रोड
अलीगढ़ (उ.प्र.) – 202001

Language: Hindi
1 Like · 3 Comments · 235 Views
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