आसमानी पुस्तकें
आसमानी पुस्तकें
नहीं चाहिएं
तुम्हारी दिव्य पुस्तकें
तुम्हारी पुस्तकें हैं आसमानी
मेरी समस्याएं हैं जमीनी
नहीं है समाधान
मेरी समस्याओं का
तुम्हारी आसमानी पुस्तकों के पास।
मुझे नहीं चाहिएं
तुम्हारी आसमानी पुस्तकें।
मुझे चाहिएं,
व्यवहारिक पुस्तकें-
जमीन से जुड़ी पुस्तकें-
जो कर सकें
मेरी समस्याओं का समाधान।
तुम्हारी आसमानी पुस्तकें
लिखी हैं दिव्यपुरुषों ने
इसलिए ही
अपवित्र होने का
बेअदबी होने का
बना रहता डर।
-विनोद सिल्ला