आसमाँ में किसने तारे भर दिये
ग़ज़ल
आसमाँ में किसने तारे भर दिये।
किसने सूरज में शरारे भर दिये ।।
झील को तो उसने मीठा कर दिया।
और समंदर सारे खारे भर दिये।।
वो मुसव्विर खूब जिसने पंख़ में।
तितलियों के रंग प्यारे भर दिये।।
भर दिया सहरा तो उसने रेत का।
और नदियों में ये धारे भर दिये।।
मोजिज़ा है ये कि उसने अब्र में।
पानी के सँग बर्क़ पारे भर दिये।।
उड़ रहे हम इस तरफ से उस तरफ।
किसने साँसों के ग़ुबारे भर दिये।।
दी अनीस आँखों को बीनाई ख़ुदा ने।
चार सू कितने नज़ारे भर दिये ।।
– अनीस शाह “अनीस”