आश्वासन भरपूर /
आश्वासन भरपूर
जितने चाहो,उतने ले लो ।
सूरज ले लो, चंदा ले लो,
ध्रुव-तारा भी तोड़ लाऊँगा ।
धूम्रकेतु औ’ पुच्छल तारे,
हर-घर में लटका जाऊँगा ।
अंतरिक्ष का नूर
जितना देखो,उतना ले लो ।
नदियाँ ले लो,सागर ले लो,
भरी ज्ञान की गागर ले लो ।
कुएँ भरो,नलकूप भरो तुम,
झील,ताल औ’डाबर ले लो ।
बाँध सभी मंजूर
जितने चाहो, उतने ले लो ।
ब्रह्मा, विष्णु और’ महेश
के, दर्शन मैं करवा दूँगा ।
हज़रत, ईशा और मूसा
को, जन्नत से बुलवा दूँगा ।
लक्ष्मी हैं भरपूर
जितनी माँगो,उतनी ले लो ।
केवल एक वोट भर दे दो,
थैला एक नोट भर ले लो ।
मान रखो, मर्यादा रख लो,
लज्जा एक ओट भर ले लो ।
माँगों का सिंदूर
जितना चाहो, उतना ले लो ।
बनवा दो सरकार हमारी,
केवल इक दरकार हमारी ।
मैं भी जा नाचूँ संसद में,
पायल की झनकार हमारी ।
मुझे बना दो हूर
फिर जो चाहो,वो सब ले लो ।
आश्वासन भरपूर
जितने चाहो, उतने ले लो ।
—- ईश्वर दयाल गोस्वामी ।