आश्रयहीन अभिलाषाएं
शेष नही कही समर्पण है ।
मन कोने में टूटा दर्पण है ।
आश्रयहीन अभिलाषाएं ,
अश्रु नीर नैनो से अर्पण है ।
…विवेक दुबे”निश्चल”@.
शेष नही कही समर्पण है ।
मन कोने में टूटा दर्पण है ।
आश्रयहीन अभिलाषाएं ,
अश्रु नीर नैनो से अर्पण है ।
…विवेक दुबे”निश्चल”@.