आशीष
तेरा जीवन हो सफल,
यशगान करे सम्पूर्ण अचल।
तू स्वस्थ रहे दीर्घायु रहे,
काया रहे सदा निश्छल।
जिस धरणी की तू ऋणी,
कृतज्ञ पुष्प हर पांत खिलाती चल।
रवि मयंक सम भर कांति ,
तिमिर भ्रांति का कर दर्प विफल।
जल निधि की तू कंचन धारा,
अमृत बन चल तू कल कल।
हो रिपु अगर असंख्य तुम्हारे,
शिखरी सम बन जा तू अटल।
मन उपवन की तू सम्राज्ञी,
फूहड़ सम न बन चंचल।
हो पहाड़, छेद तू आगे बढ़,
भारत भविष्य कर उज्जवल।
शिव शक्ति की कृपा रहे सद्
उमा हृदय से हे तितल।
उमा झा