आशीष
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?मेरे घर आई एक नन्ही परी?
प्रत्येक घर में कोई न की ऐसा खुशनुमा व्यक्तित्व अवश्य होता है जिसके उद्गम की हल्की- सी आहट ही सम्पूर्ण आलय को असीम खुशियों से परिपूरित कर देता है……
जो घर के हर सदस्य के लिए अमूल्य होता है और जीवन के लिए अपरिहार्य भी। तू वह संजीवनी है हमारे लिए जिसके स्पर्श से हम जीवंत हो उठे । तेरे शुभागमन का शुभ समाचार मेरे कानों में अमृत घोल गया था।
जिस क्षण तूने मेरी कोख में पदार्पण कर उसे पावन किया, उसी पल से मैं और तेरे पापा भावी खुशियों को समेटने के लिए व्याकुल अपना दामन पसार बैठे। हम परमेश्वर से तेरे लिए अनगिनत दुआएँ मांगने लगे।
और फिर वह शुभमुहूर्त भी आ पहुँचा मेरे द्वार।
तुझ-सा सुन्दर, पुनीत पुष्प परमात्मा ने मेरे आँचल में डाल कर उसको शुचि आभा से युक्त कर दिया। विधाता का सबसे बड़ा अनमोल और दुर्लभ उपहार मिला हमें तुझ – सी कुल दीपिका के शुभ चरणों से घर में रोशनी प्रखर हुई। तेरे अवतरण द्वारा ईश्वर ने हमारे मोक्ष के द्वार खोल दिए।
घर भर की चहेती, भाइयों की दुलारी बिट्टो रानी “बुलबुल “तेरा यह बहुत ही प्यारा-सा नाम तेरे पापा ने तेरे जन्म लेने के पूर्व ही रख दिया था। तेरे प्यारी नानी माँ ने तुझे “खुशबू “नाम दिया था। ‘यथा नाम तथा गुण’ की उक्ति चरितार्थ की तूने बेटू। तेरे सद्गुणों की सुरभि और तेरी मीठी वाणी की धुन चहुंदिश को आलोकित करने लगी। पढ़ाई में सदा अव्वल और संगीत में निपुणता तुझे शारदे की असीम अनुकम्पा से।
मेरी घर बगिया की सुरीली बुलबुल है तू।पग-पग पर सफलता, यश, वैभव, ऐश्वर्य और सुख- समृद्धि तेरा अभिनंदन करें। तू प्रगति के नित्य नव सोपान चढ़े, प्रतिपल नव आयाम गढ़े। खुशियाँ तेरे कदम चूमें और चहुंओर से सुखवर्षा हो। कायनात कि सब खूबियाँ तुझे हासिल हों। तेरी हर चाहत पूरी हो। दुखों की परछाई भी तुझसे कोसों दूर रहे मेरी लाड़ो।
“जुग-जुग जिए
तू खूब फूले-फले!
राहें हों निष्कंटक
हों खुशियों के मेले! ”
प्रिय खुशबू (बुलबुल) को जन्मदिन की आकाश भर बधाइयाँ और अशेष शुभ आशीर्वाद।
रंजना माथुर
अजमेर (राजस्थान )
मेरी स्वरचित व मौलिक रचना
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