आशीष बुज़ुर्गों का लेना
जीवन के अनुभव पाने को,राह लक्ष्य सरल बनाने को।
आशीष बुज़ुर्गों का लेना,मान हृदय से उनको देना।।
गिर-गिर संभल आए हैं जो,
तैर तीर को पाए हैं जो,
वो ही नेक दिशा दे सकते,
खुद ओर दिशा चल आए जो,
कर अभिमान भुला मत देना,यौवन छोर गिला मत देना।
संस्कार दिए हैं रिश्तों ने,तू छल दाँव चला मत देना।।
दादा-दादी नाना-नानी,
कहते आए रीत कहानी।
सीख उसी से मिलती आई,
रखना उसको याद ज़ुबानी,
बात सदा ख़ुद पर ही लेना,सोच समझ के उत्तर देना।
हर संकट पल टल जाएगा,जीवन मूल भुला मत देना।।
वृद्धाश्रम जो देख रहे हो,
आज नहीं कल देख रहे हो,
आँखों से पट्टी खोलो तुम,
सच है दिन में देख रहे हो,
खेल कपट का खेल न देना,दुनिया दी तुम ज़ेल न देना।
मौसम भी बदला करता है,बात सही है खेल न देना।।
उड़के नभ पर जाने वाले,
मुड़के भू पर आने वाले,
गतिशील बने रहना हँसके,
बरसें बादल छाने वाले,
भ्रमित हृदय मत होने देना,ख़ुद को तुम मत खोने देना।
हाँ!जीत तुम्हारी ही होगी,मन को तुम मत सोने देना।।
–आर.एस.प्रीतम
सर्वाधिकार सुरक्षित–radheys581@gmail.com