आशियाना
किसे फुर्सत क्यों कोई
किसी को महसूस करे
अपने गम हैं क्या कम
जो गैरों का ख्याल करे
अकेला-पन मेरे अंदर
बाहर भीड़ मे शामिल
समझे जायें सबकेसाथ
एकांत मुझ मे कामिल
ये हुस्न ये रूप ये नाज
रखो सहेज अपने लिए
हम हैं न कम किसी से
मरेंगे न किसी के लिए
खुला – पन है पसंद हमे
पर्दादारों से न कोईकाम
हमराज हो जाते बेवफा
राजदारी रक्खेगें तमाम
दिल टूटा धड़कने चलती
अश्क खुश्क हो जायेंगे
तिनका-तिनका जोड़कर
आशियाना नया बनाएंगे
स्वरचित मौलिक सर्वाधिकार सुरक्षित
अश्वनी कुमार जायसवाल कानपुर