आशिक हूँ पर…
आशिक हूँ पर अब और आशिकी , मुझ से किया नही जाता…।
तेरी बेवफाई का जहर पीकर अब और मुस्कुराया नही जाता…॥
एक मुद्दत गुजारी है, हमने सनम तेरे दीदार के बगैर…।
इक पल भी तेरे बिना सनम,अब और जीया नही जाता…॥
सफर -ए- जिंदगी मे, सनम तेरा साथ चाहता हूँ…।
इस तवील जिंदगी का सफर,सनम अब तनहा किया नही जाता…॥
जो भी हुआ जाने भी दो ,मान जाओ और अब लौट भी आओ…।
इस दिल मे सनम,किसी और की सदायें अब लगाया नही जाता…॥
इक तमाशा मन चूका है सनम मेरा और मेरे एहसास-ए-शिद्दत का…।
इस मुहब्बत मे सनम,खुद को अब और रुशवा किया नही जाता…॥
लफ्जो की ताबीर हो,मेरी शायरी की तहरीर हो तुम….
संगदिल दिल शहर मे “साहिल ” अब और ग़ज़ल कहा नही जाता…॥