आशिकी के नखरे
गजल
चलो अब आज से जाना चिढ़ाना छोड़ देते हैं
तुम्हें दिल में बसा कर हम तराना छेड़ देते हैं
आंखो में तेरी ए जो है काजल लगा दिलवर
उसे देख कितने ही ए दुनियां छोड़ देते हैं
ए तेरी मधुर मुस्कान सितम ढाती मेरे दिल पर
पर कहना कभी ना तुम कि मुस्कुराना छोड़ देते हैं
तुम्हें ही देख कर चलती जहां में मेरी ए सांसे
तेरे लिए अब हम ए मरना छोड़ देते हैं
✍? पंडित शैलेन्द्र शुक्ला
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