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22 Apr 2021 · 1 min read

आशिक़ के लिए शाम जलाया नहीं जाए।

221 1221 1221 22
हर बात मेरे दिल को बताया नहीं जाए ।
जो सच है मगर वो भी छुपाया नहीं जाए ।

ये बात सही है कि मेरा दिल है तुम्हारा
बेबात मगर दिल को दुखाया नहीं जाए।

है ख़्वाब मगर चांद जमीं पर नहीं लाओ
आशिक के लिए शाम जलाया नहीं जाए।

“दीपक” हूं गजल लेकिन बंदिश नहीं कोई
गुजारिश है बेबहर को गाया नहीं जाए।

दीपक झा “रुद्रा”

1 Comment · 382 Views
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