आशिक़ के लिए शाम जलाया नहीं जाए।
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हर बात मेरे दिल को बताया नहीं जाए ।
जो सच है मगर वो भी छुपाया नहीं जाए ।
ये बात सही है कि मेरा दिल है तुम्हारा
बेबात मगर दिल को दुखाया नहीं जाए।
है ख़्वाब मगर चांद जमीं पर नहीं लाओ
आशिक के लिए शाम जलाया नहीं जाए।
“दीपक” हूं गजल लेकिन बंदिश नहीं कोई
गुजारिश है बेबहर को गाया नहीं जाए।
दीपक झा “रुद्रा”