आशा न टूटे ऐसी
आशा न टूटे ऐसी…….
बाते न रूठे ऐसी
हम तुम बात न करते अब….
आलीशान महल में बैठे है
हम न हो सके तेरे….
न तू हो सकी मेरी
ऐसी भी क्या मजबूरी थी…..
आलीशान महल में बैठे है
राजकुमार सा था जो मैं….
सारे सपने सजे हुए थे
बस कहनी की देरी थी…..
तूने ऐसे तोड़ दिया
सारे सपने टूट गए…..
जो कहते थे मेरे है
अब न जाने क्यूं रूठ गए….
आलीशान महल में बैठे है
अब भी तू कह देती….
सारे जूठे सपने है
राजकुमार सा है तू मेरा…
अब भी तेरे सपने है।।
लेखक – कुवंर नितीश सिंह