आशा-दीप
जलाओ तुम दीप आशा का,
निराशा के अंधेरे में,
मुस्कुराओ तुम आज फिर से,
फूल की खुशबू -सा बनके,
आँसू पोछ लो अपने ,
सहारा कमज़ोर का बनके ,
प्रेम की गंगा बहा दो तुम ,
नफरतों के इस चमन में ,
भाग्य-रेखा कैसी भी हो,
मंजिल मिलेगी तुम्हें निश्चित,
स्वयं तुम्हारे ही प्रयास से ,
जलाओ तुम दीप आशा का,
निराशा के अंधेरे में…