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28 Apr 2021 · 1 min read

आशा की लौ जलाये रखिए…..

वर्तमान समय में परिस्थितियां बड़ी विषम हैं…कानों को जो सुनना ना था वो सब सुन रहे हैं और सबके हृदय सह रहे हैं…. ऐसे में उम्मीद का हाथ पकड़ कर रखिए बस यही प्रार्थना है …….??????

आशा की लौ जलाये रखिए…..

इंसानों का जाना जारी है
ये विषम महामारी है
हिम्मत टूटने मत दिजिये
सबके इम्तिहान की बारी है ,

जो किसी ने सोचा ना था
ऐसा कभी होना ना था
हालत बद से बदतर हैं
अपनों को ऐसे जाना ना था ,

जिनको दुख मिला है
ऐसा ये सिला है
जो कभी मांगा नही
इसी बात का गिला है ,

सांत्वना के स्वर हैं
बस यही प्रखर हैं
सबके सीने का दर्द
ऐसे में मुखर है ,

ये तो जैसे प्रलय है
सबकी टूटती लय है
तार सब उलझ गये
कैसा ये समय है ,

फिर भी…
उम्मीद की जो डोर है
वो नही कमज़ोर है
इसको बस पकड़े रखिए
यही तो पुरजोर है ।

स्वरचित एवं मौलिक
( ममता सिंह देवा , 28/04/2021 )

Language: Hindi
209 Views
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