आशा की किरण
मैंने एक रोज देखा एक छोटा गरीब बच्चा,
लगता था वो दिल का सच्चा,
मगर उसकी आँखों मे थी एक निराशा,
पर कुछ कर दिखने की थी दिल मे आशा,
उसकी आँखों मे था एक सपना,
जो सिर्फ था उसका अपना,
उसके दिल मे थी उमंग कुछ कर दिखाने की,
आसमाँ छू जाने की दुनिया को हारने की,
उसने सवाल भरी नज़रों से मेरी तरफ देखा,
जैसे की कुछ पूछना और कुछ जानना चाहता हो,
लेकिन कहा बस इतना की,
मुझमे भी लगन है कुछ कर दिखाने कीअगन है,
कहीं ना कहीं एक आशा की किरण है,
देखना पा लूँगा एक दिन मंजिल को,
और भाग गया कहीं दूर बहुत दूर,
देखती रही तब तक जब तक ना हुआ वो ओझल,
कर दिया उसने मुझे अपने सवालों से बोझल,
क्या हर गरीब बच्चे के मन मे सवाल होता होगा,
रोज नए सवाल लेकर जागता और सोता होगा,
आशा की एक किरण रोज नई जागती होगी,
हर दिन नए सवाल दुनिया रचती होगी !!!!!!