“आशा”के दीप
दीप का उत्सव, बधाई हृदय से स्वीकार हो,
शत्रुता हो दूर, सबसे मित्र सा व्यवहार हो।
प्रकृति हो धन-धान्य पूरित, धरा का श्रृंगार हो,
स्वस्थ होँ सब नागरिक, नव शक्ति का सँचार हो।
हो प्रदूषण दूर सब,वातावरण अब स्वच्छ हो,
जागृति आए नयी, अज्ञानता सब दूर हो।
नवसृजित होँ गीत कुछ, उल्लास ,शान्ति, समृद्धि के,
प्रस्फुटित नवचेतना हो,सुमति का विस्तार हो।
दीप “आशा” का हो प्रज्वलित,ज्ञान से उद्दीप्त हो,
हो उजाला सब के उर मेँ, तिमिर मन का दूर हो..!