आशाओं के दीप जले …
खुशियों की बात चले
हृदय में अनुराग पले,
बुजुर्गों के आशीष तले
आशाओं के दीप जले ।।
दु:ख बिपति का अन्धेरा
धरा से मिट जाए,
विनोद हँसी ठिठोली कर
मनुज फिर से गले मिले।।
हर गली कोने से
अन्धकार हटे मिटे,
अमावस की रात में
दिव्य ज्योति फैले-खिले।।
आदर्शों और मूल्यों को
जीवन में स्थान मिले,
निहित स्वार्थ भूलकर
सर्वहित की पवन चले।।
बच्चों और बुजुर्गों पर
आदर-प्रेम सरित बहे,
माँ बेटी बहनों की
प्रतिष्ठा कोई न छले ।।
मानवता की सीमा में
समाज में सामंजस्य बढ़े,
मन-मुटाव कडवाहट का
कुटिल समय सीघ्र टले ।।
लक्ष्मी माता धन बरसायें
धन-धान्य से परिपूर्ण करें,
मन के सन्ताप मिटें
चन्द्र से मुख सबके खिले।।