” आशाओं की नाव है ” !!
आस जगाते हैं आँखों में ,
और जगाते चाह हैं !
मन्ज़िल चाहे दूर हो कितनी ,
थके कभी ना पाँव हैं !!
कनक सरीखी चमक लुभाती ,
पग पग पर छलना है !
यहाँ मरीचिका खेल खेलती ,
तृष्णा को पलना है !
धूप है पसरी , तेज़ हवाएँ ,
मिले कभी ना छाँव है !!
मिला मीत का मुझे सन्देशा ,
जाना पार अभी है !
घाम मिले या शीतलता हो ,
मृदु मुस्कान वहीं है !
बनते और बिगड़ते देखे ,
यहाँ रेत के ठाँव है !!
रंग रंगीले परिधानों में ,
राही रंग भरते हैं !
मतवारे नयनों से अकसर ,
स्वप्न झरा करते हैं !
लिये लालसा अपने काँधे ,
रहे ढूँढते गाँव हैं !!
बाट जोहते नयना थकते ,
संध्या ढल जाती है !
गोरी जब लहराये आँचल,
राहें रुक जाती है !
पलकतुला पर प्यार ठहरता ,
आशाओं की नाव है !!
बृज व्यास