आवो करीब तुम यहाँ बैठों
आवो करीब तुम यहाँ बैठों, बातें हमसे दिल की करो।
ना हमसे दूर तुम वहाँ रहो, ना हमसे तुम ऐसे डरो।।
आवो करीब तुम यहाँ बैठो——————।।
दिन आज है कहो कौनसा, मौसम है आज कितना रंगीन।
जैसे गुलशन में फूल हैं महके, वैसे लग रहे हो तुम भी हसीन।।
परदा अपना तुम यह हटाओ, बेपर्दा हमसे खुद को करो।
आवो करीब तुम यहाँ बैठो—————–।।
मालूम है तुमको सारी कहानी, करते हैं प्यार हम यहाँ किससे।
लिखें हैं खत हमने यहाँ किसको, हमें दिल्लगी है यहाँ किससे।।
ना कोई शक तुम हमपे करो, यकीन पूरा तुम हमपे करो।
आवो करीब तुम यहाँ बैठो—————–।।
होगा अमर यह प्यार हमारा, सारा जहां हमको याद करेगा।
बनायेंगे हम एक ताजमहल, हमारी मोहब्बत का निशां वह होगा।।
आज प्यार का है दिन सनम, प्यार अपना तुम इजहार करो।
आवो करीब तुम यहाँ बैठो——————।।
शिक्षक एवं साहित्यकार
गुरुदीन वर्मा उर्फ़ जी.आज़ाद
तहसील एवं जिला- बारां(राजस्थान)