Sahityapedia
Login Create Account
Home
Search
Dashboard
Notifications
Settings
31 Dec 2021 · 1 min read

आवोहवा में जहर है

मधुमालती छंद
२२१२ २२१२ २२१२ २२१२
आवोहवा में जहर है,बहती हवा में असर है।
भड़का रहे हैं भावना ,बस दीखता अब कहर है।
************************************
भोले अधर कुछ कह रहे, लब पे लिखा कुछ और है।
मन में छुपा है और कुछ,सारे जहां में शोर है।
सुनसान है ये रात पर,अब जागता ये शहर है।
*****************************
है कालिमा छायी हुई,आकाश गंगा छोर पर।
गांठें लगी हैं अनगिनत, विश्वास की हर डोर पर।
है धुंध दिखती आज ये, पर साफ चौथा पहर है।
******************************
संगीत में दिखती नहीं, गहराई कोई आजकल।
अब काव्य मंचो पर पढे जाते हंसी ठठ्ठे सफल।
है ग़ज़ल बहकी हुई सी,खुद ढूंढती ये बहर है।

Language: Hindi
Tag: गीत
148 Views
📢 Stay Updated with Sahityapedia!
Join our official announcements group on WhatsApp to receive all the major updates from Sahityapedia directly on your phone.
You may also like:
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
डॉ अरूण कुमार शास्त्री
DR ARUN KUMAR SHASTRI
मिथ्या इस  संसार में,  अर्थहीन  सम्बंध।
मिथ्या इस संसार में, अर्थहीन सम्बंध।
sushil sarna
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
मैंने खुद के अंदर कई बार झांका
ruby kumari
17)”माँ”
17)”माँ”
Sapna Arora
वक्त सबको पहचानने की काबिलियत देता है,
वक्त सबको पहचानने की काबिलियत देता है,
Jogendar singh
इश्क़ की बात ना कर
इश्क़ की बात ना कर
Atul "Krishn"
अकेला बेटा........
अकेला बेटा........
पूर्वार्थ
मुक्तक
मुक्तक
अनिल कुमार गुप्ता 'अंजुम'
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
माना कि मेरे इस कारवें के साथ कोई भीड़ नहीं है |
Jitendra kumar
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
गर्त में था तो सांत्वना थी सहानुभूति थी अपनो की
VINOD CHAUHAN
सब की नकल की जा सकती है,
सब की नकल की जा सकती है,
Shubham Pandey (S P)
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
जो कभी सबके बीच नहीं रहे वो समाज की बात कर रहे हैं।
राज वीर शर्मा
3688.💐 *पूर्णिका* 💐
3688.💐 *पूर्णिका* 💐
Dr.Khedu Bharti
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
*आध्यात्मिक साहित्यिक संस्था काव्यधारा, रामपुर (उत्तर प्रदेश
Ravi Prakash
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
न जाने कहा‌ँ दोस्तों की महफीले‌ं खो गई ।
Yogendra Chaturwedi
अमीर घरों की गरीब औरतें
अमीर घरों की गरीब औरतें
Surinder blackpen
अश्लीलता - गंदगी - रील
अश्लीलता - गंदगी - रील
गायक - लेखक अजीत कुमार तलवार
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
सांसें स्याही, धड़कनें कलम की साज बन गई,
डॉ. शशांक शर्मा "रईस"
" रागी "जी
राधेश्याम "रागी"
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
# 𑒫𑒱𑒔𑒰𑒩
DrLakshman Jha Parimal
* धीरे धीरे *
* धीरे धीरे *
surenderpal vaidya
🙅आज का सवाल🙅
🙅आज का सवाल🙅
*प्रणय प्रभात*
स्वयं अपने चित्रकार बनो
स्वयं अपने चित्रकार बनो
Ritu Asooja
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
ठंड से काँपते ठिठुरते हुए
Shweta Soni
അക്ഷരങ്ങൾ
അക്ഷരങ്ങൾ
Heera S
बेशक हम गरीब हैं लेकिन दिल बड़ा अमीर है कभी आना हमारे छोटा स
बेशक हम गरीब हैं लेकिन दिल बड़ा अमीर है कभी आना हमारे छोटा स
Ranjeet kumar patre
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
कभी कभी ज़िंदगी में लिया गया छोटा निर्णय भी बाद के दिनों में
Paras Nath Jha
" गौरतलब "
Dr. Kishan tandon kranti
कैसे सँवार लूं
कैसे सँवार लूं
हिमांशु Kulshrestha
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
रमेशराज की वर्णिक एवं लघु छंदों में 16 तेवरियाँ
कवि रमेशराज
Loading...