आवाज मुझे देकर जब चाहे बुला लेना ।
आवाज मुझे देकर जब चाहे बुला लेना।
मेरी खामोशी को सुन अन्दाज़ लगा लेना
मैं मूक प्रेम राही,मिलता हूं बिछुड़ता हूं
कई बार झरोखे से तुम्हें देख मुकरता हूं
तुम अहसासों से सब आसान बना लेना ।
आवाज मुझे देकर जब चाहे बुला लेना ।
मैं संकोची सीधा सा मगरूर न समझो तुम
दिल में है प्रेम पिपासा कुछ और न समझो तुम
मेरे जज़्बातों को तुम दिलशाद बना लेना
मेरे मौन को मुखरित कर संवाद बना लेना।
आवाज मुझे देकर जब चाहे बुला लेना ।
अनुराग दीक्षित