आवश्यकता!
आज इंसान की इच्छा बढ़ती ही जा रही है। मनुष्य के जीवन के साथ इच्छाएं जुड़ी हुई होती है।
इसलिए कहा गया है कि, आवश्यकता आविष्कार की जननी होती है। लेकिन हमें इनकी सीमा निर्धारित कर लेना चाहिए।अति हमेशा खराब होती है।आज हम विज्ञान के युग में जी रहे हैं।पर हमने पर्यावरण और धरती माता को ध्यान में रखकर कोई भी शोध कार्य करना चाहिए था।आज हमने विकास तो बहुत कर लिया है। लेकिन क्या? तुम्हें सुख प्राप्त हुआ है।हम केवल मनुष्य होने का आंनद उठाना चाहतें हैं।
अपने स्वार्थ के लिए हम किसी दूसरे की बलि चढ़ाना चाहते हैं।हम कितना भी विकास करलें, ज्यादा तर प्रकृति के संतुलन को बिगाड़ने का, काम हो रहा है।
और प्रकृति ही खुद कंट्रोल करेंगी।