“ आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण”
डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
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इस रंगमंच में हरेक भाषा ,विभिन्य व्यक्तित्व और विचार के कलाकार हैं ! सब अपने -अपने क्षेत्र के धनुर्धर हैं ! कोई मौन अभिनय के महारथी हैं ,कोई दिग्दर्शक हैं ,किसी की लेखनी काव्यात्मक और गद्यात्मक की श्रेष्टता हमें मंत्रमुग्ध कर देती हैं ! किसी का संगीत ,किसी का गीत और किसी की प्रस्तुति एक यादगार बन जाती है ! हास्य ,व्यंग ,प्रचार -प्रसार और यादगार लम्हों का प्रदर्शन मस्तिष्क में घूमते रहते हैं ! यह सारी प्रतिभाएं अधिकाशतः अविवादित होते हैं ! भले किन्हीं को ना भाए पर अधिकाशतः ये प्रतिभाएं सदिओं तक सराहे जाते हैं !
बस विवादित विषयों का सृजन राजनीति परिदृश में ही होते हैं और समय के साथ -साथ राजनीतिक संवादों का महत्व मलिन होने लगता है ! विषय बदल जाते हैं ! सत्ता स्थानांतरण के बाद विषय भी पुराने हो जाते हैं ! समय के साथ सारे के सारे किसी कोने में धरे के धरे रह जाते हैं ! पर छोड़ जाती है एक पीड़ा ,एक दर्द ,एक कटु अनुभव ! अपने दोस्तों के बीच विचारों का महाभारत प्रारंभ हो जाता है ! सबके अपने -अपने विचार होते हैं ! किन्हीं न किन्हीं संगठनों से प्रत्यक्ष अथवा परोक्ष रूप से लोग जुड़े रहते हैं ! और यदि विवादित व्यक्तित्व का मुकुट अपने सर पर रखना है तो अपने अभिनय में राजनीति भंगिमा अपनाएं !
आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण साहित्य का दर्पण है ! इसके बिना साहित्य ही नहीं हरेक विधाओं में इसकी मान्यता है ! आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण यदि राजनीति में आप क्यों ना सकारात्मक ही करें पर महाभारत को भला कौन रोक सकता है ? यह कुछ क्षणों के बाद एक भयंकर वाद -विवाद बन जाता है ! लोग अपनी मर्यादा को भूल कर शालीनता ,शिष्टाचार और मृदुलता के दीवारों को तोड़कर अभद्रता के चादर को अपने शरीरों पर ओढ़ लेते हैं ! नौबत यहाँ तक पहुँच जाती है कि अपनी सूची से या तो लोग हटा देते हैं या तो उसको जन्मजन्मांतर ब्लॉक कर देते हैं !
यह बातें ,यह उठापटक ,यह युद्ध और महाभारत की काली घटा अधिकाशतः डिजिटल के राजनीति परिवेश में ही देखने को मिलता हैं ! दरअसल डिजिटल मित्रों को कभी हमने देखा नहीं हैं ,उनके स्वभाव से अवगत नहीं हैं और ना उनके विषय में हम जानते हैं ! फिज़िकल फ्रेंडशिप में यह कटुता कुछ क्षणों के लिए रहती है पर डिजिटल मित्रता के कमेन्ट बॉक्स पर प्रहार लगातार होने लगता है ! सारे के सारे लोग अपनी हॉबबी से जुड़े हैं ! उन्हें अपना काम करना पड़ता है ! कोई भी महाभारत करना नहीं चाहता ! हमारी कोशिश यही रहनी चाहिए कि कम से कम विवादित मुद्दों पर आलोचना ,समालोचना और विश्लेषण करें ताकि आप सदा ही सुरक्षित रह सकें !
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डॉ लक्ष्मण झा “ परिमल “
साउंड हेल्थ क्लिनिक
डॉक्टर’स लेन
दुमका
झारखण्ड
09.02.2023