आली वर्ण पाद छंद
विधा – अली वर्ण पाद छंद
प्रथम प्रयास?सादर समीक्षार्थ
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नयना तरसे
बदरा गरजे
तोहे बिन देखे
अँखियाँ बरसे
रूठ गये काहे
आन मिलो तुम।
वीरह वेदना
सह न सकूँगी
मौन है नयना
कह न सकूँगी
अब भी आजाओ
हृदय लगाओ।
रात रात भर
जागती अँखियाँ
करवट लेटे
कटती रतिया
नयन बावरे
तोहे पुकारते।
जब से गये हो
नयन है सूनी
बीरहन की न
सुध कभी लेते
आन मिलो तुम
मो अंग लगाओ।
……..✍️✍️
पं.संजीव शुक्ल “सचिन”