आलिंगन
आलिंगन और चुबंन की बौछार करू मैं
तुम ज़ो आ ज़ाओ तो
उस दिन को त्योहार करूं मैं
दिल की गहराई तुम क्या ज़ानो
तुम तो बस सौनदरय को मानो
नहीं है इतनी सुदंर काया
इस लिए मैंने तुम को नहीं पाया
फिर भी तुम को प्यार करूं मैं
उस दिन को त्योहार करूं मैं
जहां भी पग पग तुम थे चलते
आते ज़ाते मुझ से मिलते
उस धरा को पृणाम करूं मैं
उस दिन को त्योहार करूं में
मैंने तुम को अपना माना
समझ ना पाई क्यों अपना ज़ाना
स्मरण स्वपन में बार बार करुं मैं
उस दिन को त्योहार करूं मैं।