आलिंगन
आलिंगन
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केवल एक प्रेमपूर्ण आलिंगन में ही पहली बार कोई देह एक आकार लेती है।
हृदय में अथाह प्रेम लिए आलिंगन करती हुई तुम्हारी प्रेमिका, तुम्हें, तुम्हारी देह का आकार देती है। जब वह तुम्हें चारों ओर से अपनी बाँहों के घेरे मेें बाँधती है तब वह तुम्हें और तुम्हारी देह को पहचान भी देती है !
यकीन मानो कि अपनी प्रेमिका के बगैर तुम यह रहस्य कभी नहीं जान पाते कि तुम्हारी देह किस प्रवृति की है !
तुम्हारी देह के किस हिस्से में मरूस्थल सरीखी प्यास है और किस हिस्से में जल का स्त्रोत कलकल कर रहा है ?
तुम्हारी देह में इत्र का मेंह कहां से बरसता है और फूलों का बागान कहां मुस्कुरा रहा है ?
तुम्हारी देह में बरसों से सोया निश्छल प्रेम कहां वास कर रहा है ? देह का कौन सा हिस्सा तुम और तुम्हारी प्रेमिका के बीच सदियों पुराना संबध होने का आभास कराता है ?
तुम्हारी देह का कौन सा हिस्सा मृत हो चुका है और कौन सा हिस्सा जीवित है ?
प्रेमिका के आंलिगन से पहले तुम खुद को जानते ही नहीं थे! तुम केवल दुनिया की नज़रों से ही खुद को देखा करते थे ! तुम अभी तक भी खुद के प्रति अपरिचित बने रहते यदि तुम्हारी प्रेमिका ने आकर तुम्हें अपने आँलिंगन के पाश में न बाँधा होता ! तुम मरते दम तक अंजान रहते खुद से !
सच मानो तो जब तुम सच्चे दिल से किसी से प्रेम करने लगते हो तो अपनी देह को लेकर तुम पहली बार सजग होते हो. पहली बार तुम्हे अहसास होता है कि तुम्हारे पास एक देह है!
प्रेम में पड़े प्रेमी एक दूसरे की देह और आत्मा को समझने में सहायता करते हैं !
और इसके उपरांत प्रेम तुम्हें स्वयं का, आत्मा का अनुभव कराता है !
सबसे आखिर में तुम दोनों एक ऐसे स्तर पर पहुंच जाते हो जहां प्रेमी केवल प्रार्थना करते हैं एकदूजे के लिए और फिर यही प्रार्थना उन्हें परमात्मा से मिलाती है !
एकदम सरल सा लगने वाला यह प्रेम असल में बहुआयामी होता है और उसे व्यक्त करने के भिन्न-भिन्न तरीके तो जादुई होने के साथ-साथ करिश्माई भी होते हैं !(प्रेरणा ओशो)
~Sugyata