“आराम”
लाॅकडाउन के बाद समीर का आज चौथा दिन ही था ऑफिस बंद हुए । घर से कहीं जाना तो बंद था ही । सब कुछ बंद होने की वजह से घर में भी ऑफिस का काम कम ही था । एक दो दिन तो खूब आराम किया, बच्चों के साथ खेला, और टीवी देखकर समय व्यतीत किया । किन्तु तीसरे दिन से ही ये सब उबाऊ लगने लगा ।
इधर संध्या सुबह से शाम तक पहले की दिनचर्या तो थी ही बल्कि कामवाली के नहीं आने की वजह और अधिक व्यस्त रहने लगी । समीर के लिए तो घर का काम मात्र औरतों का है ।
–“ये लो चाय ।” संध्या ने समीर को चाय पकड़ाकर बच्चों के लिए दूध लेने रसोई में चली गयी ।
समीर –“संध्या! तुम भी तो चाय लेकर बैठो ।”
–“आती हूँ ।”
अपनी चाय बच्चों का दूध लेकर आ गयी संध्या ।
–“तुम कभी बोर नहीं होती इस तरह दिन भर घर में रहते-रहते ?” चाय की घूंट लेते हुए समीर ने पूछा ।
–“होती हूँ न ..?”
–“पर अभी कुछ कहती नहीं हो ?”
–“कई बार तो पहले कह देती थी तो तुम ही कहते थे कि तुम्हें क्या परेशानी है ? आराम से तो घर में रहती हो।” संध्या समीर के हाथ से खाली कप लेते हुए के कहा और रसोई की तरफ चल दी ।
समीर अपने आराम की थकान को उतारने रसोई में सबके लिए नाश्ता बनाने पहुंच गया ।
–पूनम झा
कोटा राजस्थान 27-03-2020
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