आराम से गुजरे…..
कुछ करो ऐसा की ऐहतराम से गुजरे।
जिंदगी चार कदम तो आराम से गुजरे।
लब्ज़ जब भी करें सफर कानों तक का,
है दुआ, हर लब्ज़ तुम्हारे नाम से गुजरे।
हल नहीं होंगे मसले ऐलान करने से,
ठान बैठे हो, तो चलो अंजाम से गुजरे।
मांग रक्खी जा सकती है तरतीब से ‘विनय’,
क्या जरूरी है, मजलिसें कत्लेआम से गुजरे।