🍀🌸🍀🌸आराधों नित सांय प्रात, मेरे सुतदेवकी🍀🌸🍀🌸
रंग की सुरेख देख,घटा है सुविशेष की,
विशेष में भी शेष बची आभा अशेष की,
अशेष की माया से सब रंग रहे जग में,
जग है या माया है बूझें हैं निरे सनकी,
सनकीपन दूर करो,प्रपञ्च छुड़ाने करो,
करो दहन इर्ष्या द्वेष, बैर होलिका की,
होलिका सुहानी मने, जीवन सुधारि बने,
आराधों नित सांय प्रात, मेरे सुतदेवकी।
©अभिषेक: पाराशर:
होली पर प्रकट हुआ था,यहाँ लिखना भूल गया।।