‘आरती माँ भारती की’
आओ आरती उतारें हम माँ भारती की,
देवों की भूमि कर्म-भूमि पार्थ सार्थी की।
रक्षा में तत्पर है जिसकी हिमालय,
वक्ष स्थल पर शुशोभित
पाप तारती की।
है कश्मीर प्रदेश इसका स्वर्ग रूप प्यारा,
गंगा सागर है जिसका अंतिम किनारा।
विभिन्न धर्म रंगों के जहाँ खिलते सुमन हैं,
बात होती जहाँ सदा से
ही परमार्थ की।
है सभ्यता यहाँ की सबसे ही पुरानी,
ज्ञान और विज्ञान में नहीं कोई इसका सानी।
जल-थल-अंतरिक्ष सभी हैं अन्वेषित,
पावन वसुंधरा भी यही है सिद्धार्थ की
आओ उतारें आरती हम माँ भारती की,
देवों की भूमि कर्मभूमि पार्थ सार्थी की।
गोदाम्बरी नेगी
हरिद्वार
(उत्तराखंड)