आरती पति देवा की (करवां चौथ पर)
आरती पति देवा की,कि निस्वारथ सेवा की।मैं तुम्हारी सेवा दार,तुम मेरे त्यौहार।एक सफर के दो साथी,ऐसी जीवन सेवा की। आरती पति देवा की।कि निस्वारथ सेवा की।ग्रहस्थ जीवन की, पहली कड़ी हो।मैं तुम्हारे साथ खड़ी हो।मेरे कर्तव्य पथ पर, निश्छल सेवा की। आरती पति देवा की। तुम्हारे साथ रहना है। तुम्हारे साथ चलना है। तुम्हारे साथ जीना है। तुम्हारे साथ मरना है। आरती इस जीवन बंधन की। आरती पति देवा की। तुम्हारे बिन सूना है संसार, मेरा तुम ही हो श्रृंगार। ऐसे जीवन देवा की। आरती पति देवा की।कि निस्वारथ सेवा की।