आरजू
दिल की ये आरजू थी मेरी
एक हमदर्द ,एक साथी हमें ऐसा मिले
जो साया बनकर सदा साथ रहे मेरे
हम पर सदा वह अपना प्यार बरसाएँ।
सात वचन का मान रख वह,और
मुझे पुरे दिल से अपनाएँ।
जो हम साया हो मेरे दिल की
मेरे बोलने से पहले ही
मेरे दिल की बात समझ जाएँ।
मिलाकर मेरे कदम से कदम
हर मोड़ पर मेरा साथ निभाए।
थामकर अपने हाथों मे मेरा हाथ
मुझे हर पग पर गिरने से बचाएँ।
जिन्दगी के हर सफर मे
वह मेरा साथ निभाए।
सुख हो या हो दुख जीवन मे
अपनापन वह हमेशा जताए।
बीच मझदार मे वह अपना दामन
हमसे छुड़ाकर नही जाए।
रब से मांगा था बस मैंने इतना,
देखो किस्मत से तुम मेरे
जीवन का नसीब बनकर आए।
रब को देखो मेरी विनती
कितना है भाया।
जितना मांगी थी उनसे
उससे कई गुणा हमने
तेरे रूप मे ज्यादा पाया है।
इससे ज्यादा कुछ भी रब से
माँगने की इच्छा नही है।
तेरा साथ रहे मेरे जीवन मे
इससे ज्यादा मेरे लिए
कोई सुख की बात नही है।
अनामिका