आरक्षण
बहुत हो चुका हो हल्ला
अब तो मन की गांठें खोलो..
सब में ही गुण है प्रतिभा है..
इन्हें आरक्षण से मत तौलो
इन भारत बन्द के खटको से..
हो चुका देश बेजार बहुत..
पिछड़ों को आगे लाने का..
हो चुका ठगी व्यापार बहुत..
अपनी ही जिद पे अड़कर बस…
सांसों में जहर तो मत घोलो..
सब में ही गुण है प्रतिभा है..
इन्हें आरक्षण से मत तौलो!!
माना कि सदियों से तुमने..
है लाखो अत्याचार सहे..
हर युग में तुमको ही रौंदा..
तुम पर बीती सो कौन कहे..
अब तो इन लाचारी की;
जंजीरों से खुद को खोलो..
सब में ही गुण है प्रतिभा है..
इन्हें आरक्षण से मत तौलो!!
तुम स्वाभिमान के पुतले बन..
अपने रस्ते आसान करो..
या दे दुहाई लाचारी की..
अपनी शक्ति बर्बाद करो..
चुनना खुद तुमको है फिर से..
बुद्धि के ताले खोलो
सब में ही गुण है प्रतिभा है
इन्हें आरक्षण से मत तौलो!!
बन कर रक्षक था यह आया
भक्षक बन कर झूल रहा..
जातिगत आरक्षण केसे
अपना रस्ता भूल रहा..
वोट बैंक की लालच में तुम
देश में मत गफलत घोलो
सब में ही गुण है प्रतिभा है
इन्हें आरक्षण से मत तौलो
राजनीति के झगड़ो में..
हर मुद्दे पर तकरार रही..
पर जाति रूपी आरक्षण पर
हर एक पार्टी साथ रही..
कैसी ये घिनौनी चालाकी
अब तो अपनी आंखे खोलो
सब में ही गुण है प्रतिभा है
इन्हें आरक्षण से मत तौलो
**प्रिया मैथिल